धन-दौलत, नाते-रिश्तेदार कोई मुक्ति नहीं दिला सकता

          इंदौर। भक्ति ही मुक्ति का साधन है। धन-दौलत, नाते-रिश्तेदार कोई मुक्ति नहीं दिला सकता। भवसागर से मुक्ति पाने का एक मात्र साधन केवल ईश्वर की भक्ति ही है। कथा हमेशा आसन पर बैठकर ही सुनें। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। बगैर आसन भजन-पूजन, कथा-भोजन से मिलने वाली ऊर्जा रसातल में चली जाती है।



          यह बात कथा वाचक पं. वासुदेव शर्मा ने मंगलवार को भागवत कथा में कही।
वे सुदामा नगर ई-सेक्टर के शंकराचार्य गेट पर आयोजित कथा में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज लोगों को कथा सुनने, मंदिर जाने, तीर्थ यात्रा करने, परिवार के साथ समय गुजारने के लिए समय नहीं है, लेकिन मोबाइल पर घंटों बिताने के लिए समय है। कथा से पहले शोभायात्रा निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। यात्रा का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया।